बलिदानी ब्रिगेड से जगी ’गुमनाम’ राज्यआंदोलनकारियों में उम्मीद
रविवार छह दिसम्बर को पौड़ी जिले के सतपुली कस्बे मे जुटे प्रदेश के राज्य आंदोलनकारियों नें एकत्र होकर राज्य सरकार की चिन्हित नीतियों के खिलाफ और राज्य आंदोलनकारियों को उचित सम्मान देने के लिए एक मंच का गठन किया, ताकि राज्य के असली आंदोलनकारियों की पहचान की जा सके और उनके शौर्य और बलिदान गाथा को युगों-युगों तक संजोया जा सके। आने वाली पीढियों को उनसे प्रेरणा मिल सके, और उन्हें राज्य के सरोकारों और राज्य संघर्ष
की गाथाओं का ज्ञान होता रहे। ’उत्तराखण्ड बलिदानी ब्रिगेड’ के नाम से गठित राज्य आंदोलनकारियों के इस संगठन के प्रथम अध्यक्ष के रूप में सतपुली क्षेत्र के जाने-माने व्यवसायी,समाजसेवी ठा सुन्दर सिंह चौहान व सचिव चन्द्रप्रकाश शर्मा को बनाया गया है। इसके अलावा राज्य भर के प्रत्येक जिले के अध्यक्ष और सचिव की घोषणा मंच से की गई। मौजूद आंदोलनकारियों में से ही यह दायित्व प्रदान किये गये। इसके साथ-साथ विकासखण्ड स्तर पर भी कमेंटियां गठित की गईं हैं, जिसके लिए भी प्रतिनिधियों को नामित किया गया। ये प्रतिनिधि अपनें-अपनें स्तरों से ग्राम, कस्बों, मोहल्लों, शहरों व अपने सगे-सम्बंधियों व विभिन्न सम्पर्कों से उन आंदोलनकारियों का पता लगाएंगे जिन्होंने राज्य निर्माण के लिए अपनी सहादत दीं, जेलों में रहे और अनेक तरह की यातनाएं सहीं, और अलग राज्य के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया। वे किसी न किसी रूप में राज्य की लडाई में सम्मलित रहे और पीड़ित रहे हैं, और पुलिस यातनाओं के साथ जेलों में बंद रहे, अपने व्यवसाय-धंधे को तिलांजलि देते हुए राज्य निर्माण की हर लड़ाई में मजबूती के साथ खड़े रहे। उन्हें चिन्हित करते हुए, उनसे जुड़े तथ्य, घटनाएं, संवाद व सम्बन्धित दस्तावेजों को एकत्र कर जानकारियां उपलब्ध कराएंगे। आंदोलनकारियों की ये सभी जानकारियां और दस्तावेज सतपुली में प्रस्तावित संग्रहालय में रखे जायेंगे, ताकि आनें वाली पीढ़ी व शोधकर्ता उनका अवलोकन, अध्ययन, और वाचन कर सके, तथा उन्हें राज्य प्राप्ति के दौरान हए संघर्षों की सही जानकारी उन्हें प्राप्त हो सके।
अभी तक राज्य सरकार द्वारा गठित व चिहिनत गये आंदोलनकारियों की जो सूचनाऐं उपलब्ध हुईं है, वह कई मायनों में संदेहास्पद हैं। उसमें कई महानुभाव ऐसे भी हैं, जिनका राज्य आंदोलन से कोई सरोकार ही नहीं रहा अपितु उस दौरान राज्य आंदोलनकारियों के खिलाफ खडे़ रहे, परन्तु आज अपनी ’’अच्छी राजनीतिक पकड’’ के चलते उन्हें आज ’’सच्चे आंदोलनकारी’’ की तरह पूजा जा रहा है,अगर छानबीन की जाय तो ढेरों ऐसे उदाहरण व मामले भी सामने आ जायेंगे जिनमें राज्य और आंदोलन विरोधी लोगों की तादात सच्चे आंदोलनकारियों से ज्यादा निकलेगी। इन्हें आदोलनकारी का दर्जा प्राप्त होने के नाते वे सारी सुविधाएं व लाभ प्रदान किऐ गये , जो असली आंदोलनकारियों को प्राप्त होने चाहिए थे। ऐसे लोग अपने राजनीतिक आकाओं के दम पर इस ओहदे को पा गये, जबकि यह उस आंदोलनकारी के खिलाफ सरासर अन्याय है, जिसनें आंदोलन में सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया था अपनों को खोया था ? जबकि हकीकत यह है, कि राज्य की लड़ाई में शामिल रहे लोगों को सम्मान-सुविधा की बात तो छोड़िये सरकार उन्हें आंदोलनकारी का दर्जा देने के लिए भी उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर रही हैं। यहां ऐसे प्रभावशाली लोगों नेताओं का भी जिक्र होना जरूरी है, जो तत्कालीन समय पर अच्छे ओहदे व सत्ता प्रतिष्ठानों मंे असरदार पद पर कार्यरत थे। राज्य की खातिर भटक रहे उत्तराखंडियों को बजाय आत्मबल प्रदान करने के उन्होंने उसका विरोध किया। राज्य आंदोलन की लड़ाई को कमजोर करने काम किया राज्य के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजे एक नेता जी तो उत्तराखण्ड को अपनी लाश पर बनाने की बात तक कह चुके थे, पर जब कई शहीदों की सहादत के बाद राज्य बना तो वे सिंहासन पाने की हसरत ने उन्हें नई दिल्ली से वापस देहरादून की और दौड़ा दिया। हालांकि वो अब नहीं रहे।
’उत्तराखण्ड बलिदानीं ब्रिगेड’ एक गैर राजनीतिक संगठन है, इसमें अधिकतर बुद्विजीवी एवं राज्य आंदोलनकारी लोगों को ही शामिल किया गया है, इसको धारातल पर काम करने लिए बनाया गया है। सुन्दर सिंह चैहान ने इसके लिए करीब 10 नाली जमीन दान स्वरूप प्रदान की है। इसे एक स्मारक, भवन या संग्रहालय के रूप में विकसित कर राज्य आंदोलन से जडे़ तमाम दस्तावेजों को इसमें संजोया जायेगा, ताकि आदोलन को हमेशा के लिए जीवंत और समसामायिक बनाया जा सके । विचार गोष्ठी में राज्य के सभी जिलों से आंदोेलनकारियों ने बड़ी संख्या में शिरकत की। मंचासीन वक्ताओं नें राज्य बनने के बाद की स्थितियों को लेकर विशेष रूप से मंथन किया, और इस बात का लेकर चिन्ता जाहिर की कि जिन उद्देश्यों के लिए राज्य का गठन किया गया था, उस दिशा में राजनेताओं व नीति-निर्धारकों ने सोचने तक की जहमत नहीं उठाई। पलायन, रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य के हालात पहले बदत्तर हैं । राजनीतिकों को केवल सत्ता और पद के लिए लड़ते हुए ही देखा जा रहा है, फिर आज राज्य की प्रासांगिकता का क्या औचित्य रह गया है । बलिदानी ब्रिगेड उत्तराखण्ड में जनसरोकारों की लड़ाई के लिए आम लोगों को एक मंच प्रदान करेगा, और राज्य के उद्देश्यों के लिए निरंतर संघर्ष करेगा। मंच पर सुंदर सिंह चौहान अध्यक्ष के अलावा गढवाल विवि के सहायक प्रोफेसर डा राकेश नेगी, सचिव, सीपी शर्मा हरिद्वार वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ एकेएस साहनी, राठ महाविद्यालय पैठाणी, पौड़ी के सहायक प्रोफेसर डाॅ देवकृष्ण थपलियाल, पत्रकार रेखा नेगी, जनसरोकारों से जुडे गोपेश्वर के चन्द्रशेखर भट्ट, साहित्यकार एवं आंदोलनकारी गणेश खुगशाल, राज्य आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पुष्पेंद्र राणा सतपुली, आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारी भूपेन्द्र सिंह रावत मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे। उत्तराखण्ड बलिदानीं मंच के कार्यों को आगे बढ़ाने की बात कहीं।
- सुन्दर सिंह चौहान गरीबों की सेवा को बनाया जूनून
क्षेत्र के जाने माने समाजसेवी और जनपद के उद्योगपति सुंदर सिंह चौहान का नाम हर किसी के जुबान पर आता है। मिलनसार एवं मृदुल स्वभाव के धनी चैहान हर किसी के चहेते हैं। वह क्षेत्र में गरीबों के लिए मसीहा है। वह हर जरूरतमंद लोगों के साथ हरपल खड़े रहते हैं। सुंदर सिंह चौहान निस्वार्थ भाव से दीन दुखियों की सेवा तन,मन,धन से करते हैं। वह समाज सेवा के कार्य से जुड़े हुए हैं। उन्हें सुर्खियों में रहना बिल्कुल भी पसन्द नहीं। उनके कार्यों को स्थानीय स्तर पर ही नहीं बल्कि प्रदेश स्तर पर भी खूब सराहा जाता है और उनके काम को सम्मान दिया जाता है। अब उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों को उचित सम्मान देने के लिए बीड़ा उठाया है और ’उत्तराखण्ड बलिदानी ब्रिगेड’ नामक एक मंच का गठन किया, ताकि राज्य के असली आंदोलनकारियों की पहचान की जा सके और उनके शौर्य और बलिदान गाथा को युगो-युगो तक संजोया जा सके। आने वाली पीढियों को उनसे प्रेरणा मिल सके, और उन्हें राज्य के सरोकारों और राज्य संघर्ष की गाथाओं का ज्ञान होता रहे। इसके साथ ही वे उत्तराखंड सहित पूरे देश के तिरस्कृत उपेक्षित और असहाय बुजुर्गों को उनके जीवन के अंतिम पड़ाव में सेवा कर पुण्य लाभ कमाया जाए। ठाकुर सुंदर सिंह चौहान ने अपने कार्यक्षेत्र सतपुली को ही अपनी समाज सेवा के केंद्र के रूप में चुना। मजदूरी करने से लेकर आज पौड़ी जिले के श्रेष्ठ उद्योगपतियों में स्थान बनाने वाले चौहान पौड़ी जिले के एक सफल उद्योगपति तो है ही साथ ही निस्वार्थ भाव से समाज सेवा करने वाले समाज सेवक भी हैं। वर्तमान में 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार देकर उनके परिवार के अन्नदाता चौहान सतपुली में व्यवसाय करते हैं तो सतपुली से 6 किलोमीटर दूर एकेश्वर यानि कि चौंदकोट जनशक्ति मोटर मार्ग पर उनके द्वारा स्टोन क्रेशर, बाटलिंग प्लांट भी लगाया है, जहां स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिला है। सुंदर सिंह चौहान का एक सपना था कि जब आर्थिक रूप से सक्षम होंगे तो जनसेवा करेंगे जिससे उनका जीवन तो सार्थक होगा ही साथ ही समाज के लिए सार्थक बन सके। समाज के तिरस्कार, उपेक्षित और असहाय बुजुर्गों को सम्मान से जीने का सुख मिल सके, उनके लिए एक ऐसे आश्रम स्थापना कर जिसमें उन्हें अपने मनुष्य जीवन में आने पर दुख नहीं होगा खुशी होगी। इसके मद्देनज़र उन्होंने एक वृद्धा आश्रम की स्थापना की अभी यहाँ 50 से 60 लोगों की व्यवस्था है लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे और अधिक संख्या वाला बनाया जाएगा। चौहान द्वारा अपने क्षेत्र और पौड़ी जिले के कई गरीब निराश्रित बच्चों को शिक्षा दीक्षा, गरीब निर्धन कन्याओं पर विवाह का पूरा खर्च उठाना और निराश्रित विधवा महिलाओं को सम्मान से जीने के लिए उन्हें स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित करने जैसे कार्य को प्रेरणा दी जा रही है।
- लेखक प्रदेश के जानेमाने शिक्षाविद हैं।
