नई शिक्षा नीति में शामिल हो चिकित्सा आरोग्य विषय

देहरादून। पर्वतीय दूरस्थ ग्रामीण व देहाती क्षेत्रों के साथ छोटे नगरों व शहरों में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री व केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर नई शिक्षा नीति में चिकित्सा विज्ञान या चिकित्सा आरोग्य विषय को मान्यता देकर माध्यमिक स्कूलों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का अनुरोध किया है। सोनी ने कहा ग्रामीण व देहाती क्षेत्रों के साथ ही छोटी नगरों, शहरों के लोगों को बीमारियों की जानकारी न होने के कारण जान तक गवानी पड़ती है क्योंकि इन क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को उसकी बचाव, प्राथमिक उपचार व सावधानी की जानकारी नहीं होती है जैसे दिल की बीमारी या अचानक घटित घटनाओ में अपने स्तर से प्राथमिक उपचार नहीं दे पाते हैं जिस कारण लोगों को अपनी जान तक देनी पड़ती है अगर इस विषय को मान्यता मिल जाती है तो उससे गांव एवं देहाती क्षेत्रों के साथ छोटे नगरों व शहरों में अचानक घटित घटनाओं में घर पर ही प्राथमिक उपचार देकर उनकी जान बचाई जा सकती है इसलिए हर व्यक्ति को चिकित्सा विधियों की जानकारी होनी अतिआवश्यक है ये तभी सम्भव हैं जब विद्यालयों में चिकित्सा विज्ञान या चिकित्सा आरोग्य विषय के रुप में हमारे नौनिहालों को पढ़ने को मिले।
डॉ सोनी ने कहा कि इस विषय मे आंतरिक व बाहय बीमारियों का सविस्तार से वर्णन हो तथा बिमारियों के लक्षणए बीमारियों के बचाव व उनके रोकथामए सावधानियांए उपचार की विधिए तत्काल प्राथमिक उपचार में प्रयोग आनेवाली सामग्री का सचित्र वर्णन होना चाहि, ताकि अगर अकस्मात कोई घटना घटित होती है तो उन्हें तुरंत प्राथमिक उपचार देकर उनकी जान बचाई जा सके।
डॉ सोनी ने यह भी कहा कि चिकित्सा स्वास्थ आरोग्य विषय में शरीर, आँखों व मल मूत्र के रंग से किस बीमारी के लक्षणों का पता लगाया जा सकता हैं, उसकी जानकारी होनी अत्यंत जरूरी हैं। कहा एक्स.रे, अल्ट्रासाउंडए सिटी स्कैनए ईसीजी आदि उपकरणों की जानकारी भी पाठ्यक्रम में सम्मिलित होनी चाहिए।
डॉ सोनी ने कहा इस विषय की मान्यता मिलने से जहाँ लोगो को बीमारी से बचाव व स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मिलेगी वही चिकित्सा से संबंधित डिप्लोमा लिए युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। सोनी ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश में लागू होगी उस नीति में चिकित्सा विज्ञान या चिकित्सा आरोग्य विषय को मान्यता देकर पाठ्यक्रम में लागू किया जाय ताकि जानकारी के अभाव में लोगों को अपनी जान गवानी न पड़े।

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