समय से पहले खिले, बुरांश और फ्योंली

ऊखीमठ। राज्य पुष्प बुंराश व फ्यूली फूल के निर्धारित समय से पहले खिलने से पर्यावरणविद खासे चिन्तित है। बुंराश व फ्यूली फूल के समय से पहले खिलने का कारण अधिकाश लोग ग्लोबल वार्मिंग को मान रहे हैं । आने वाले दिनों में यदि जनवरी माह के अन्तिम सप्ताह या फिर फरवरी माह के प्रथम सप्ताह तक ऊंचाई वाले इलाकों में जमकर बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई तो निचले क्षेत्रों में भी अधिकांश जंगल बुंराश के फूलों से लदक हो सकते है।

बता दे कि पूर्व में बुंराश व फ्यूली का फूल फरवरी अन्तिम सप्ताह में कुछ स्थानों पर खिले देखे जा सकते थे, तथा महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव व पार्वती को बुंराश के फूल को अर्पित करने के लिए मीलों दूर जंगलों की खाक छाननी पड़ती थी। इस वर्ष की बात करे तो बुंराश व फ्यूली का फूल अधिकांश जंगलों में खिल चुका है जो कि चिन्ता का विषय बना हुआ है। फ्यूली व बुंराश के फूलों को नौनिहाल चैत्र माह की सक्रांति से लेकर आठ गते तक बह्म बेला पर घरों की चौखटों पर बिखेरते हैं मगर इस वर्ष माघ माह में ही बुंराश व फ्यूली के फूल खिलने से पर्यावरणविद खासे चिन्तित है! पर्यावरणविदों का मानना है कि फ्यूली व बुंराश के फूलों का दो माह पूर्व खिलना ग्लोबल वार्मिंग का असर है। 75 वर्षीय बुरुवा निवासी प्रेम सिंह का कहना है कि आज से पहले हमेशा फ्यूली व बुंराश के फूलों को फाल्गुन माह के तीसरे सप्ताह में ही खिलते देखा था मगर इस वर्ष माघ महीने में ही फ्यूली व बुंराश के फूल खिलना चिन्ता का विषय बना हुआ है। पर्यावरणविद हर्ष जमलोकी का कहना है कि मानव द्वारा लगातार प्रकृति दोहन करने से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है जो कि भविष्य के लिए शुभ संकेत नही है।

  • लक्ष्मण सिंह नेगी, वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ।

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