मुख्यमंत्री ने की जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार” कार्यक्रम की समीक्षा
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज शासकीय आवास पर “जन-जन की सरकार, जन-जन के द्वार” कार्यक्रम की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम निरीक्षण का नहीं बल्कि सेवा और समाधान का मंच है।मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कहा है कि “जन-जन की सरकार जन-जन के द्वार” कार्यक्रम किसी भी स्थिति में औपचारिकता बनकर नहीं रहना चाहिए। दिव्यांग, बुजुर्ग, महिला और कमजोर वर्ग के जो लाभार्थी शिविरों तक नहीं आ सकते, अधिकारी स्वयं उनके घर तक पहुंचें। उनसे मौके पर ही आवेदन भरवाएं और समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करें।मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि शिविरों की सूचना पूर्व से व्यापक स्तर पर दी जाए और इन्हें उत्सव के स्वरूप में आयोजित किया जाए। स्थानीय भाषाओं गढ़वाली, कुमाऊँनी और अन्य स्थानीय बोलियों में कार्यक्रम का अनिवार्य रूप से प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि आमजन इसका लाभ उठा सके। लोगों को आवेदन के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े और प्रत्येक समस्या के समाधान के लिए स्पष्ट समय सीमा तय हो।मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान केवल समस्याएं सुनने तक सीमित न रहे, बल्कि समाधान की पूरी प्रक्रिया का हिस्सा बने। जहां समाधान तत्काल संभव हो, वहां मौके पर ही कार्रवाई की जाए। जहां समय लगे, वहां स्पष्ट समयसीमा और उत्तरदायित्व तय कर लाभार्थी को जानकारी दी जाए। यदि किसी क्षेत्र से फीडबैक संतोषजनक न आए तो वहां पुनः शिविर लगाया जाए। मुख्यमंत्री ने महिला मंगल दलों, स्वयं सहायता समूहों, युवक मंगल दलों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बार-बार सामने आ रही समस्याओं की सूची बनाकर शासन के समक्ष रखी जाए। साप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट अनिवार्य रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जाए और धीमी गति से कार्य करने वाले विभागों को चिन्हित किया जाए।मुख्यमंत्री ने बताया कि इस अभियान में अब तक 56,550 से अधिक लोग प्रतिभाग कर चुके हैं। उन्होंने हाल ही में बिना पूर्व सूचना अल्मोड़ा के एक शिविर में पहुंचकर स्वयं जनता से फीडबैक लिया। वे आगे भी शिविरों का औचक निरीक्षण करेंगे, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके।मुख्यमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधि भी मंच तक सीमित न रहकर स्टॉल स्तर पर जाकर नागरिकों से संवाद करें। विशेष रूप से बुजुर्गों, महिलाओं, दिव्यांगजनों और कमजोर वर्ग को आवेदन, दस्तावेज़ एवं पात्रता से जुड़ी प्रक्रियाओं में प्रत्यक्ष सहायता दी जाए। डीएम/सीडीओ बिना पूर्व सूचना के भी शिविरों में पहुंचें। बड़ी न्याय पंचायतों में एक से अधिक कैंप तथा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिविर लगाए जाएं। आधार कार्ड अपडेशन, आयुष्मान कार्ड निर्माण जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
